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रुपरेखा : परीक्षा का परिचय - परीक्षा का बुखार - अनुचित प्रयोग - प्रश्न पत्र को लेकर आशंकित - परीक्षा को लेकर मन में डर - आत्मविश्वास जरुरी है ।
परीक्षा का परिचय
परीक्षा के दिन विद्यार्थी के लिए बड़े कठिन दिन होते हैं । इन दिनों परीक्षार्थी अपनी समस्त ध्यान अपने पढ़ाई की ओर फोकस कर अपना सारा ध्यान किताबों में देकर सम्भावित प्रश्नों को याद करने में लगा देता है। ये दिन उनके लिए परीक्षा-देवो को खुश कर के उनके लिए अनुष्ठान करने के दिन होता है। गृहकार्यों से मुक्ति, खेल- तमाशों से छुट्टी और मित्रों- साथियों से दूर रहने का दिन हैं। परीक्षा विद्यार्थी के लिए किसी भय से काम नहीं है। जैसे कोई भूत सर पर सवार हो, और उसकी रातों की नींद हराम हो जाती है। ना तो विद्यार्थी को भूख लगती है और अगर उस समय कोई रिश्तेदार घर आ जाए तो उनसे ना मिलना अच्छा लगता है । और दूरदर्शन के मनोरंजक कार्यक्रम, चित्रहार आदि समय नष्ट करने के माध्यम जैसा लगते हैं।
परीक्षा का बुखार
परीक्षा के इन कठिन दिनों में परीक्षा का बुखार चढ़ा होता है, जिसका तापमान परीक्षा कक्ष में प्रवेश करने तथा प्रश्न-पत्र हल कर के परीक्षा कक्ष से बाहर आने तक लगातार चढ़ता रहता है। फिर अगले विषय की तैयारी की चिंता लगी रहती है। विद्यार्थी परीक्षार्थी लगातार पढ़ने के कारन वो आराम नहीं कर पाते जिस वजह से उनका मन छटपटाता रहता है। परीक्षक से विद्यार्थी क्रोधी बन जाता है तथा उन्हें किसी से बात करना भी अच्छा नहीं लगता है।
अनुचित प्रयोग
वर्ष के सुरुवात से ही नियमपूर्वक अध्ययन न करने वाला विद्यार्थी परीक्षा के इन कठिन दिनों में हनुमान् जी की भाँति एक ही उड़ान में परीक्षा-समुद्र को लाँघने के प्रयास में लग जाते है। वह सहायक पुस्तकों का आसरा ढूँढ़ते है, कोई भी पुस्तक को देवता समझकर उसे पूजना शुरू कर देते है। परीक्षा के कठिन दिनों में कई छात्र नकल का सहारा लेकर पास होने के प्रयास करने लगते है। कई छात्र निरीक्षक को लोभ-लालच या धमकी देने की कोशिश करने का प्रयास करते है। फिर नकल के लिए कई प्रश्नों के उत्तर लिखकर अपने कपड़ो में छिपाकर परीक्षा कक्ष में ले जाते है। परीक्षा कक्ष में नकल की घबराहट में पढ़े कुछ रहते है, और लिखकर कुछ आ जाते है।
प्रश्न पत्र को लेकर आशंकित
परीक्षा के इन कठिन दिनों में परीक्षार्थी दिन रात इसी डर में रहते है की परीक्षा में क्या सब आएगा और क्या नहीं आएगा। अपने अध्यापक की सहायता से प्रश्नों का खोज कर उनका उत्तर ढूंढने के प्रयास में लग जाते है। परीक्षक प्रश्न-पत्र के माध्यम से उनके पुरे वर्ष की तैयारी का जायजा करते है ।
परीक्षा को लेकर मन में डर
परीक्षा का समय तीन घंटे तय होते है । यह तीन घंटे का एक-एक क्षण विद्यार्थी के लिए कीमती होता है। प्रश्न-पत्र को अच्छी तरह समझकर हल करना और भी कठिन कार्य होते है। किसी प्रश्न या प्रश्नों का उत्तर लम्बा लिख दिया तो अन्य प्रश्न छूटने का भय मन में बना रहता है। उत्तर प्रश्नों के अनुसार न दिए तो अंकों का कम होने की आशंका रहती है। विचारों को व्यक्त करने के लिए भाषा अनुकूल न बनी, तो भी गड़बड़ होने की आशंका होती है। सबसे बड़ी कठिनाई तो तब आती है, जब रटा हुआ उत्तर लिखते-लिखते दिमाग में सारे उत्तर मिल जाते है । परीक्षा के इन कठिन दिनों को साहसपूर्वक पार करने का अर्थ है सफलता का वरण करना । इसके लिए अनिवार्य है सुरुवात से ही पढाई पर ध्यान दे। बार-बार पढ़ने से, सहायक पुस्तकों तथा अध्यापकों के सहयोग से कठिनाई दूर हो जाती है।
आत्मविश्वास जरुरी है
परीक्षा के दिनों में आत्म-विश्वास को बनाए रखे तथा जो कुछ पढ़ा है, समझा है, उस पर भरोसा रखे। परीक्षा कक्ष के लिए जाने से पहले अपने मन को शांत रखे। कोई अध्ययन सामग्री साथ न लो, न कहीं से पढ़ने-देखने की चेष्टा करो। परीक्षा कक्ष में प्रश्न-पत्र को दो बार पढ़ो। जो प्रश्न के उत्तर सबसे बढ़िया लिख सकते हो, उस उत्तर को पहले लिखो | उत्तर लिखने के बाद उस उत्तर को एक बार अच्छे पढ़ लो | उत्तर को अंकों के अनुसार छोटा या बड़ा करना न भूलो। यदि कोई प्रश्न अधिक कठिन है, तो उस पर कुछ क्षण विचार करके उसे अंत में करे। इससे परीक्षा के कठिन दिनों की पीड़ा से थोड़ा छुटकारा महसूस होगा। कठिनाई को सरल बनाना या समझना मानव मन के अटलता और विवेक पर निर्भर है।
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